मुम्बई एक ऐसा शहर जो कभी सोता नहीं। जहाँ करोड़ों लोग अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए हर रोज़ दौड़ते हैं और भीड़ में खो जाते हैं। पर इस चमकते शहर के अंधेरे कोनों में कुछ ऐसे रहस्य छिपे हैं, जिनसे ज़्यादा दिन तक नजरें नहीं चुराई जा सकतीं। ये कहानी है तीन दोस्तों की प्रकाश, नंदिनी और भास्कर की तीनों हाल ही में बोरीवली के एक 2BHK फ्लैट में शिफ्ट हुए थे। दिन में कॉल सेंटर की थकान और रात में हँसी-मज़ाक, ये उनकी ज़िंदगी का रूटीन बन चुका था।
सब कुछ परफेक्ट था सिवाय एक चीज़ के हर रोज सुबह तीन बजे जब ये लोग उठते तों देखते बाथरूम की लाइट, किचन का एग्जॉस्ट फैन, डाइनिंग हॉल की ट्यूब लाइट अपने-आप चालू मिलती तीनों को यकीन था की उनमें से किसी ने भी रात में कुछ नहीं छुआ है शुरुआत में उन्होंने इसे टेक्निकल प्रॉब्लम समझकर नजरअंदाज किया, लेकिन जब कुछ चीजें बार-बार होने लगी तो शक, शक नहीं रह जाता वो डर बन जाता है।
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तीनों की डेली लाइफ वैसी ही चल रही थी शाम को 5 बजे घर लौटते, 6 बजे काम वाली बाई आती और कभी-कभी अपने 5-6 साल के बेटे को भी साथ लाती वो बच्चा बहुत शरारती था वह हर चीजें इधर-उधर कर देता, कभी किचन के दरवाजे में छिप जाता तों कभी फ्रिज में लेकिन ये लोग बस उस बच्चे को शरारत करता बस देखते रह जाते। क्योकि अगर आप मुम्बई में रहते है या रहे होंगे तों आप जानते ही होंगे की मुंबई में बाई मिलना कितना मुश्किल होता है |

इसलिए तीनों उस बच्चे की हरकतें को नजर अंदाज कर देते थे लेकिन एक दिन तों हद ही हो गई प्रकाश और नंदिनी जैसे ही ऑफिस से लौटे, तों उन्होंने देखा की वो बच्चा अकेला ड्रॉइंग रूम में खेल रहा है उन्हें लगा की शायद बाई पड़ोस के शर्मा जी के घर चली गई होगी लेकिन जब शर्मा जी के पास जाकर बाई के बारे में पूछा गया तों शर्मा जी का जवाब सुनने के बाद दोनों के तों रोंगटे ही खड़े हो गये क्योकि शर्मा जी ने बताया की आज बाई तो कम पर आई ही नहीं है |
अब दोनों की घबराहट बढ़ने लगी थी तेज कदमों से दोनों घर लौटे और घर आकर देखा की अब घर में वह बच्चा कहीं नहीं था फिर रात करीब 8 बजे भास्कर घर आया उसे घर में घटी घटनाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं थी भास्कर घर में घुसते ही सबसे पहले उसने देखा की बाथरूम की लाइट चालू है उसने बोला फिर से बत्ती खुद ही जल रही है उसने बड़बड़ाते हुए अलमारी से टॉवल निकाला और नहाने के लिये जैसे ही बाथरूम का दरवाज़ा खोला |
Borivali Haunted Flat
मानो जैसे उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई हो क्योकि बाथरूम की दीवारों पर लाल रंग से कुछ अजीब आकृतियाँ बनी थीं जैसे किसी बच्चे ने उँगलियों से कुछ खींचा हो और तभी एक धीमी-धीमी सिसकने की आवाज उसके कानों में सुनाई दी वो आवाज उसके ही कमरे से आ रही थी भास्कर धीरे-धीरे कमरे की ओर बढ़ा उसके हर कदम दिल की धड़कन को और तेज कर रही थी और जब दरवाजा खोला तों उसने जो देखा |
वो उसकी जीवन का सबसे डरावना पल बन गया क्योकि कमरे के कोने में वही बच्चा बैठा था, सिर को अपने घुटनों में छिपाए, कांपता हुआ और उसके होंठों से सिर्फ एक ही शब्द निकल रहा था मत बुलाओ उसे मत बुलाओ भास्कर एक पल को मानो जैसे वही जम सा गया वो कुछ समझ पाता उससे पहले ही कमरे की सारी लाइटें अपने आप बुझ गईं |
भास्कर ने कांपती आवाज में उस बच्चे से पूछा कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो अभी तो तुम यहाँ नहीं थे बच्चा धीरे से अपने घुटनों में से अपना सिर उठाता है तब भास्कर उसका चेहरा देखता है की उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी और होंठों पर ऐसी मुस्कान जैसे कोई बहुत पुराना राज जानता हो तभी अचानक भास्कर की नजरें बाथरूम की ओर गई और उसने बाथरूम के दीवारों और फर्श पर देखा की लाल रंग की खून के छीटे थी जैसे अभी-अभी किसी का कत्ल हुआ हो।
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भास्कर घबरा कर तुरन्त वहा से घर के बाहर भागा डरते हुए भास्कर ने अपने दोस्तों को फोन किया फोन पर भास्कर को डरा हुवा सुनकर प्रकाश और नंदिनी पार्टी बीच में छोड़कर भागते हुए घर आते है तीनों ने बड़ी हिम्मत जुटाकर दोबारा घर में जाने के लिये तैयार हुवे तभी दरवाजा खोलते ही लाइट अपने आप जल गई भास्कर उन्हें बाथरूम तक ले गया और बोला यहाँ था खून दीवारों पर, पर जैसे ही बाथरूम का दरवाजा खोला तों वहाँ कुछ नहीं था ना खून और ना ही कोई निशान सब कुछ वैसा ही था जैसा एक आम बाथरूम होता है |

रात के साढ़े दस बज चुके थे तीनों के चेहरों पर डर, उलझन और थकावट साफ झलक रही थी। तभी प्रकाश ने मकान मालिक को फोन लगाया और पूरी बात बताई कुछ समय चुप रहने के बाद मकान मालिक ने जो कहा वो और भी डरावना था उसने बताया की यह घर इससे पहले 10 साल पहले किराए पर था और उस समय यहाँ एक परिवार रहता था जिसमे माँ, बाप और उनका एक छोटा बेटा था कर्ज में डूबे पिता ने एक रात पत्नी और बेटे को बाथरूम में ही मार डाला था और खुद को भी वहीं फाँसी लगा ली थी |
उसके बाद से ये फ्लैट खाली पड़ा रहा और जिसने भी इस फ्लैट में रहने की कोशिश की, तों वो ज्यादा दिन टिक नहीं पाया ये सब सुनने के बाद इन तीनों को ऐसा लगा जैसे किसी ने उनके पैरों के नीचे से जमीन खींच ली हो बाथरूम में खून, लाइट का बुझना, किसी के होने का एहसास ये सब घटनाये अब तीनो को समझ में आने लगा था पर कोई कुछ बोल नहीं रहा था अब सिर्फ एक-दूसरे की आँखों में डर साफ दिख रहा था।
फिर कुछ समय बाद तीनो आपस में बात करते हुवे बोले चलो माना की 10 साल पहले की घटना को, लेकिन ये जो कामवाली बाई की बच्चा दिख रहा है वो इसका कारण क्या है वो कही दिखता है फिर अचानक से कहा चला जाता है, जैसे तैसे आज की रात प्रकाश, नन्दिनी और भासकर ने उस घर में गुजारी और सुबह होने का इंतजार करने लगे क्योंकि उन्होंने फैसला ले लिया था कि शाम होते-होते वो इस घर को छोड़कर कहीं और शिफ्ट हो जाएंगे |
सुबह होते ही इन लोगो ने अपने बैग्स पैक करना स्टार्ट कर देते है और शाम होते होते तक वो घर को छोड़ने के लिये तैयार थे की तभी करीब शाम के 5 बजे कामवाली बाई घर आई तीनों उस बाई पर सवालो का बौछार लेकर टूट पड़े की तुम्हारा बेटा हमारे घर क्यों आता है, वो बात करता है, मुस्कराता है, और फिर ना जाने कहाँ गायब हो जाता है ये सब सुनकर बाई चुप थी लेकिन उसके होंठ कांप रहे थे, आँखें डरी हुई थी |
फिर कामवाली बाई ने अपनी चुप्पी तोड़ी और बस एक ही बात बोली कि उसका तो कोई बेटा ही नहीं है ये सुनने के बाद तो तीनों जैसे बर्फ में बदल गये हो कुछ समय के लिये तो कोई हिला तक नहीं जिस बच्चे को वे इतने दिन से देख रहे थे वो कभी था ही नहीं ।
कभी-कभी, कुछ घर सिर्फ दीवारों से नहीं बने होते बल्कि उनकी दीवारों में किसी का इंतजार, किसी की तकलीफ, और किसी का अधूरा अन्त कैद होता है, बोरीवली का वह फ्लैट अब फिर खाली है शायद किसी और के आने का इंतज़ार कर रहा है |
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