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kanpur की 1 भूतिया प्राइमरी स्कूल | Real Horror Story Kanpur

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कविता नाम की एक लड़की जो कानपूर kanpur में अपने घर से ही पढ़कर बीएससी कम्पलीट की और वह अब नौकरी की तलाश में कई जगह अपनी resume सेंड की थी पर उसको कही से कोई जबाब नही आ रहा था | उसका परिवार भी बहुत गरीब था जिसके कारण वह जब से पढाई कर रही थी तब से वह पढाई के साथ साथ अपने परिवार को फाइनेंसियल मदद के लिए छोटे बच्चो को tution भी पढाया करती थी एक दिन उसको एक कॉल आता है कि अपको इस जॉब के लिए हमारी कम्पनीने आपको सेलेक्ट कर लिया है यह सुनने के बाद कविता बहुत ही ज़्यादा खुश हो चुकी थी कि इतना ज़्यादा नौकरी ट्राय करने के बाद मुझे यह नौकरी मिली |जब वो दुसरे दिन ख़ुशी ख़ुशी उस अन्वरगंच के स्कूल में पहुची और स्कूल देखा तो उसे थोडा अजीब लगा क्योकि वह स्कूल पूरा खंडहर जैसा था कविता स्कूल के अंदर गई और उसने देखा कि प्राइमेरी स्कूल होने के बावजूद यहाँ पे बच्चे बहुत कम हैं, और स्टाफ भी बहुत कम है फिर कबिता ने वहा के एक टीचर से पूछ लिया की मैम यह तो एक प्राइमरी स्कूल है तो फिर यहाँ पे इतने कम बच्चे क्यों है |

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कविता के यह सब पूछने के बाद वो टीचर बस कबिता को देखी लेकिन कुछ कहा नहीं बस मुस्कुराई थोड़ी सी और वो टीचर वहाँ से चली गई, कविता को यह बहुत ज़्यादा अजीब लगा लेकिन फिर उसने सोचा कि हो सकता है कि शायद से यहाँ पर आसपास ज़्यादा घर ना हो तो बच्चे कहाँ से इस स्कूल में आयेंगे क्योंकि मैंने भी तो अभी तक कुछ देखे नहीं है इस एकदम खाली से जग में आस पास |फिर उसके कुछ समय के बाद २ टीचर उसके पास आई और उसको स्टाफ रूम में लेके गयी जहाँ पर उस स्कूल की प्रिन्सिप्ले ने उसको समझाया कि आपको हम लोग ने यहाँ आपको क्यों बुलाया है आपको इस नौकरी के लिए क्यों हायर किया है, आपका जॉब रूल क्या होगा, कौंन से कौंन से सब्जेक्स आप पढ़ाने वाले है ये सारी बाते जानने के बाद कविता उस स्टाफ रूम से बाहर आई |


बाहर आने के बाद उसने देखा कि हाल के कोने में एक बच्चा खड़ा है जो इसी स्कूल का स्टूडेंट है और वो एक कमरे के बंद दरवाजे के तरफ देख रहा है और बस वो उस दरवाजे को घुरे जा रहा है कविता यह देखने के बाद वह जल्दी से उस बच्चे के पास गई और पहुच कर उसने उस बच्चे से पूछा कि आप यहाँ पर क्या कर रहे है तब उस बच्चे ने बोला उसने मुझे बुलाया है यहाँ पर |फिर कविता ने बोली वो कौन है जिसने तुम्हे बुलाया है फिर उस बच्चे ने बोला वो मुझे हमेशा बुलाती रहती है इस दरवाजे के पास और मुझसे इस दरवाजे को खोलने के लिए बोलती है और उसी के लिए मैं यहाँ पर आया हूँ और वो बस इतना कुछ बोल के वहाँ से भाग गया अब उस बच्चे के जाने के बाद कविता भी अब उसी दरवाजे के पास खड़ी होकर वो भी उसी दरवाजे को देखी जा रही थी |

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और साथ ही साथ यह भी सोच रही थी की शायद से कोई इस कमरे में है जो उस बच्चे को बुलाकर दरवाजा खोलने को बोल रहा था तो फिर मैं अंदर जा के देखती हूँ और वो बस दरवाजे के तरफ जा ही रही थी की उसने देखा कि दरवाजे पर तो ताला है तो कविता ने उस ताले को वो खोलने में लग गयी और उस ताले को खोल ही रही थी की उसी समय स्टाफ में से कोई आया और कहा की कविता मैम आप इस कमरे के अन्दर मत जाना |फिर कविता ने कहा अरे अभी तो एक बच्चा बोला की कोई उसे इस दरवाजे को खोलने के लिए बोल रहा है तो मैंने सोचा मै ही खोल देती हूँ फिर उस स्टाफ ने कहाँ कविता मैंम मै बोल रही हूँ न आप इस कमरे में न जाये क्योंकि यह दरवाजा कई सालो से बंद है और इसे कभी किसी ने खोला नही है खंडहर है ये जगा पूरी तरीके से मेरी बात मानो तो आपको कमरे में नहीं जाना चाहिए |
उस स्टाफ के बार बार कहने पर कविता भी शान्त हो गयी और वो वहाँ से स्टाफ रूम में चली गयी

अब शाम होते होते बहुत तेज़ बारिश शुरू हो गई और सारे टीचरस के निकलने का भी वक्त हो गया था और बच्चे सारे एक एक करके निकल ही रहे थे फिर सारे स्टाफ मेंबर चले गए लेकिन बारिश बहुत तेज़ हो रही थी वो रुकने का नाम ही नही ले रही थी लेकिन कविता वही उसी स्कूल में रुकी रही क्योंकि न ही वह छाता लायी थी और न ही उसको कोई उसके घर वाले लेने आये थे |थोड़ी देर बाद उसने देखा की कोई औरत है जो उसके पास ही आ रही है और वह औरत कविता के पास आके बस इतना कहा कि अंदर सुधान्सु है क्या? कविता ने कहा कौन सुधान्सु? फिर उस औरत ने कहा कि मेरा नाम मीना है और मेरे पति का नाम है सुधान्सु और वो इस स्कुल में काम करते है फिर कविता ने कहा कि मीना जी आज मेरा पहला दिन है इस स्कूल में लेकिन पुरे दिन में मैंने किसी सुधान्सू नाम के आदमी को न ही देखा और न ही किसी के मुख से सुना |

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फिर मीना ने कहा हर रोज सुबह सुबह वो काम करने के लिए यहाँ पर आते हैं और फिर रात होते ही वो घर पे आ जाते हैं लेकिन आज वो घर नही आए फिर कविता ने कहा हो सकता है फिर इसके बाद मीना ने कहा की बारिश बहुत हो रही है तो मैं अन्दर आ सकती हु क्या फिर कविता ने बोला हा आ जाइये मै भी तो अकेली ही हूँ आप आ सकते हो अंदर फिर कविता ने मीना को अपने साथ स्टाफ रुम में बिठा लिया ।अब मीना जब अंदर बैठी हुई थी तो वो बार बार कविता के आखो के तरफ देख रही थी कि कविता की आखे बार बार उसी खंडहर वाले दरवाजे की तरफ जा रही है तब मीना ने कहा आप बार बार उस बन्द दरवाजे की तरफ क्यों देख रही हो क्या कोई आने वाला है क्या फिर कविता ने कहा नहीं आज पुरा दिन हर किसी ने मुझे उस दरवाजे के पास जाने से सिर्फ रोका है तो मुझे बस अभी ऐसा मन कर रहा है कि अभी आसपास कोई यहाँ पे है नहीं तो मुझे वो दरवाजा खोल के देख लेना चाहिये |

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कविता एकदम से उठी और ये सब कुछ उसके दिमाग में चल ही रहा था कि क्या मुझे उस दरवाजे को खोलना चाहीये की नहीं और वो ये सोचते सोचते वह उस दरवाजे के एकदम करीब पहुँच गई वापस उसने उस दरवाजे के तरफ देखा कि वहाँ पर ताला लगा हुआ था कविता बस उस दरवाजे को खोल ही रही थी की वापस से मीना की पीछे से आवाज आयी की अब ये वाला दरवाजा मत खोलना कविता फिर सोची क्यों ना खोलू हर कोई बस मुझे टोक ही रहा है हर कोई मुझे बस रो की रहा है |फिर मीना बोली उस दरवाजे को न खोलने की श्राप है एक क्योकि अन्दर वो रहता है फिर कविता थोड़े गुस्से में बोली कौन वो उस बच्चे ने भी कहा था वो और अब आप भी बोल रही है वो रहता है वो कौन तभी उसी समय स्टाफ रुम के साथ साथ पूरे स्कूल की लाइट्स चली गई और जैसे ही लाइट्स आफ हुई तो उसने आप पास देखा की मीना कही दिख नही रही थी फिर उसने कई आवाजे लगाई मीना को लेकिन कोई रिप्लाई नही आया तो कविता ने सोचा शायद वो चली गयी |


फिर कविता ने कहा चलो अभी कोई नहीं है मुझे यहाँ पर रोकने वाला मैं अब जा रही हूँ ये दरवाजा खोलने के लिए वो दरवाजे की ओर गयी और उसने वो दरवाजा खोल दिया कविता ने जैसे ही वो दरवाजा खोला की उसके कन्धे पर किसी का हाथ आया और उसने कहाँ की मैं तुमको कहा था न की ये दरवाजा मत खोलना और तुमने वही गल्ती कर दी ।कविता ने पीछे मुढ कर देखा तो पीछे भी कोई भी नहीं दिख रहा था उसने फटाफ़ट उस दरवाजे को बन्द किया और वो वहाँ से भाग कर जल्दी से स्कूल के गेट के पास पहुची की तभी उसको मीना की आवाज आई तो उसने सोचा अरे लगता है मीना अभी यही है और मै इसको भी लेकर ही साथ निकलती हूँ लेकिन मीना की वो आवाज उस दरवाजे के अंदर से आ रही थी फिर भी कविता ने इस बार सोचा नहीं कुछ उसने बोला की नहीं मैं जाके इसको बचाऊँगी किसी भी हालत में मैं इसको बचाऊँगी उसके आवज आ रही थी मीना की की अरे देखो मैं यहाँ पे हूँ वो भागते हुवे उस दरवाजे के पास गयी |

उसने दरवाजे को खोला और उसके ठीक सामने मीना थी लेकिन वह छत से लटकी हुई थी कविता अब बहुत ही ज़्यादा घबरा चुकी थी उस दरवाजे के अंदर आ के उसको अभी वहाँ से भागना था और जैसे ही वह मुडी भागने के लिए की उससे पहले ही वह दरवाजा बन्द हो गया उसने एक आखरी बार मुढ कर मीना को देखा उसको लगा कि वो अभी भी छत से लटकी हुई रही होगी लेकिन अभी मीना जमीन पर खड़ी थी लेकिन वो ऐसे नहीं लग रही थी कि वो जिंदा हो ऐसा लग रहा है कि ये एक ऐसा मुर्दा है |फिर मीना ने कहा की तुम्हे कहा था न की इस दरवाजे को मत खोलना फिर तुमने मेरी बात क्यों नही मानी कविता ने कुछ नहीं कहा बहुत ही ज़्यादा डरी हुई थी फिर मीना ने कहा ये दरवाजा सिर्फ सुधान्सु को खोलना चाहिए था लेकिन इतने साल हो गए वो आया नहीं यहाँ पे ये सारी बाते सुनके कविता और भी ज्यादा डर गयी और वह जोर जोर से दरवाजा खोलने लगी और तभी एक झटके के साथ दरवाजा खुल गया तभी वह जल्दी से दरवाजे के बाहर आई अपना बैग उठाया और वहाँ से वो स्कूल के बाहर भागी स्कूल के बाहर से उसने एक आखरी बार उस दरवाजे के तरफ देखा |

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उसने देखा कि मीना उस दरवाजे के ठीक अंदर खड़े होकर चिल्ला रही है जोर से चीख रही है और उसी चीखो के बीच में दरवाजा अपने आप बन्द हो गया और उसके बाद अगले दिन कविता स्कूल नही गयी तो उसके मा बाप ने पूछा उसको कि तुम वापस से क्यों नहीं गए उस स्कूल में फिर कविता ने वो सारी बाते बताई कि उसके साथ क्या-क्या हुआ है, क्या-क्या घटनाये घटी है उसके साथ ।उसके बाद जब उसके पिता को पता चला की ये कौन सी स्कूल में जाती है तो उस पिता ने कहा की बेटा खुश किस्मत हो की तुम यहाँ से जिन्दा वापस लौटे हो उस कमरे के बारे में हर किसी को पता है वो कमरा सालों से बन्द है बताया जाता है की एक स्टाफ की पत्नी ने आत्महत्या कर लि थी उस कमरे में और तब से वह स्कूल भूतिया हो गया है और इसी के लिए वहाँ पर जल्दी कोई बच्चा नही जाता है पढने के लिए और न ही कोई टीचर जाती है पढ़ाने के लिए लेकिन बस कुछ टीचरस की सिर्फ उनकी मजबूरी है वहाँ पे जाके पढ़ाना | ऐसा बताया जाता है कि कई सालों में ऐसे कई सारे बच्चे रहे हैं जिन्हे उस क्लासरूम के अंदर एक औरत की आत्मा को देखा है जो हमेशा टहलती रहती है या बेंचेज में बैठी रहती है या छत से लटकी रहती है उसकी लाश |

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