झारखंड के एक छोटे से गांव में तीन पक्के दोस्त रहा करते थे प्रभाकर,रजीत और संजय यह तीनों बचपन से ही पक्के दोस्त थे लेकिन ये लोग कभी भी कहीं पर भी picnic मनाने के लिए नहीं गये थे यह घटना तब की है जब पिकनिक मनाना एक बहुत ही इंटरेस्टिंग चीज मानी जाती थी किसी को भी टाइम मिल जाता था तो अपने फैमिली वालों के साथ दोस्तों के साथ रिश्तेदारों के साथ दूर दराज के इलाकों में बढ़िया टाइम स्पेंड करने के लिए पिकनिक मनाने के लिए पहुंच जाया करते थे आज के जमाने जैसा नहीं कि किसी को भी टाइम मिले तो लोग कंप्यूटर में गेम खेलते हैं मोबाइल में टाइम पास करते हैं चाहे मम्मी पापा दादा दादी बच्चे जो कोई भी हो सबको एंटरटेनमेंट का अलग-अलग तरीका मिल गया है लेकिन उस टाइम पे चीजें बहुत डिफरेंट थी | ये तीनों एक दूसरे के घरों के आसपास तो रहते थे आसपास रहते थे इसलिए शाम के समय डेली खेलने के लिए तो चले जाया करते थे लेकिन कभी भी ये बेचारे दूर कहीं टाइम स्पेंड करने के लिए नाइट आउट मारने के लिए या पिकनिक मनाने के लिए नहीं जा पाए थे बचपन से ही सोचते थे कि जब हम क्लास 12थ पास कर लेंगे बड़े हो जाएंगे अब चाहे हमारे स्कूल वाले कॉलेज वाले हमको घूमने के लिए कहीं ले जाए ना ले जाए हम पक्का कहीं किसी बढ़िया से पिकनिक स्पॉट में नाइट आउट मार के आएंगे ऐसा सोचते थे बेचारे छोटे थे तो अब थोड़े बड़े हुए तो लगा कि अरे हम थोड़ा बचकाना सोचते थे लेकिन नहीं बचपन का यह सपना था तो इसको जरूर पूरा करेंगे |

आखिरकार आज से लगभग 20 साल पहले यानी कि 2004 में इन लोग की क्लास 12थ क्लियर होती है अच्छे परसेंटेज थे घर वालों को दिखाया घर वाले बहुत खुश खुशी के साथ घर वालों से इन लोगों ने रिटर्न गिफ्ट मांग लिए और रिटर्न गिफ्ट यह कि हम लोग जाना चाहते हैं पिकनिक मनाने के लिए हमको रोकना मत, जहां पर इन लोगों का घर था वहां से लगभग लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर एक बढ़िया वाला पिकनिक स्पॉट मौजूद था एक ऐसा पिकनिक स्पॉट था जहां पर एक छोटा सा झरना छोटी सी पहाड़ी ढेर सारी ग्रीनरी और एक छोटा सा मंदिर भी मौजूद था लेकिन यह एक ऐसा मंदिर था जहां पर किसी भी देवी देवता की पूजा नहीं होती थी यह मंदिर के बारे में किसी को कुछ समझ में नहीं आता था इस मंदिर में ना ही कोई मूर्ति विराजमान थी और ना ही किसी का प्रतीक लेकिन फिर भी यह मंदिर था पता नहीं कैसा था | खैर मंदिर के बारे में छोड़ो बाकी सारा कुछ यहां पर बहुत इंटरेस्टिंग था और picnic कोई भी आए तो अपने आप को यहां पर टाइम स्पेंड करने से रोक ना पाए घर वालों से परमिशन मांगे और घर वालों ने हां भी कह दिए क्योंकि आज तीनों के घरवाले थे भी इतने खुश तीनों की बात करें तो 90% 90% पर के ऊपर आए हुए थे फिर क्या था भाई इन तीनों ने अपने अपने घरों से कुछ ऐसा सामान भी इकट्ठा किया कि हम लोग वहां पर जाकर इसका खाना भी बनाएंगे मतलब वहां पर चूल्हा बनाएंगे चूल्हे में बढ़िया खाना पकाए खाएंगे रात में ढेर सारी बातें करेंगे कहानियां एक्सचेंज करेंगे और फिर सो जाएंगे फिर सुबह आएंगे इन तीनों में से संजय के पास खुद की स्कूटर थी ये तीनों डिसाइड किए हुए थे कि स्कूटर में सवार होकर तीनों जाएंगे और यह वैसी वाली स्कूटर नहीं थी जिसकी सीट्स अलग अलग होती है इस स्कूटर की सीट पूरी प्लेन वाली थी तो तीनों आराम से बैठ सकते थे अब तीनों डिसाइड की हुई डेट में रात में लगभग 8 बजे इस स्कूटर में सवार हुए और पहुंच गए |
Picnic स्थान पर पहुचकर तीनो हैरान
भाई यहां पर सीन यह था कि पिछले साल तक काफी सारे लोग आते जाते थे चाहे दिन हो शाम हो या रात भी हो रात में भी यहां पर टेंट लगाकर लोग रुकते थे ये तीनों भी उस स्थान पर पहूचते है यह तीनों पहली बार आए हुए थे जिंदगी में इन तीनों ने इस जगह के बारे में सुने थे लेकिन कभी आए नहीं थे यह तीनों वहां पर अपनी चटाई बिछाए है बैग से सामान निकालना शुरू किए हैं इतने में एक बोलता है कि चल भाई चूल्हा बना लेते हैं थोड़ी आगे ईंट पड़े होंगे तो संजय ईट उठाने के लिए जाता है इतने में संजय को एक दुकान वाला दिखता है एक छोटा सा दुकान वाला जो कि अपनी दुकान बंद कर रहा था बंद करके घर जा रहा होगा करीब 8 से 8:30 बजे की बात थी वो बंद करके जा रहा था |ये सोचा कि एक बार उससे पूछ तो लेता हूं दुकान वाले के पास गया तो दुकान वाला इसको देखकर चौक गया बोलता है अरे भाई आप लोग क्या कर रहे हैं चलिए चलिए जाइए रात हो चुकी है संजय बोलता है क्यों जाइए भाई यहां पर तो लोग रात में नाइट आउट मारने के लिए टेंट लगाने के लिए आते हैं अभी तक पिछले साल तक आते थे हमारे एक रिलेटिव भी आए हुए थे आप कैसे जाइए जाइए बोल रहे हैं यह बोलता है कि भाई साहब वह बात थोड़ी पुरानी हो गई एक साल पहले तक यह जगह थोड़ी नॉर्मल थी अब नहीं है मेरी बात मानिए यहां से चले जाइए देवी देवता भी अब इस मंदिर में रहते नहीं है वह शौक हो गया बोला हां आप उसी मंदिर की बात कर रहे हैं क्या जहां पर कोई मूर्ति नहीं है तो दुकान वाला बोलता है हां बिल्कुल उसी मंदिर की बात कर रहा हूं |

एक जमाने में वहां पर देवी देवता मूर्ति प्रतिमा सब विराजमान थी लेकिन अब नहीं है इस नेगेटिविटी की वजह से इस जगह की श्राप की वजह से वो भी इस जगह को छोड़कर जा चुके हैं संजय को लगता है कि ये आदमी ना थोड़ा सा पागल है इसकी थोड़ी सी खिंचाई करते हैं बोला भाई साहब आप दो मिनट रुकेंगे क्या मेरे दो दोस्त भी मेरे साथ में हैं अब मैं उनको जाकर ऐसा बोलूंगा कि चलो चलो यह जगह सेफ नहीं है तो मेरा मजाक उड़ाएंगे उससे अच्छा कि आप बोल दे उनको तो दुकान वाले भाई साहब बोलते है कि हां हां ठीक है मैं रुका हूं तुम जल्दी से बुलाकर लेकर आओ मेरे भी जाने का समय हो रहा है नहीं तो यहां पर आसपास वह आने लगेंगे तो फिर हमारा यहां से निकल पाना बहुत नामुमकिन सा हो जाएगा | संजय को थोड़ी सी हंसी आती है को कंट्रोल करता है बोलता है भाई साहब मैं दो मिनट में आया वह अपने दोस्तों के पास जाता है और दोस्तों को बताता है बोलता है कि एक आदमी मिला है और वह दुकान वाला है वो थोड़ा सा मुझे क्रैक लग रहा है उसकी हम लोग थोड़ी सी खिचाई करते है चलो चलो तीनों खुश हो गए तीनों गए उसके पास और तीनों ने उससे बात की और तीनों को फिर से उसने यही बात बोला और ऐसा बोल के वो निकल गया वह बोला मैं तो निकल रहा हूं तुमको निकलना है निकलो नहीं निकलना मत निकलो बहुत समय हो चुका है ऐसा बोल के वो निकल गया अब जैसे ही वो गया है तो तीनों हंसे फिर बात करने लगे अरे ये तो कुछ भी बोल रहा है यह बोल रहा है वह बोल रहा है |
बात करते करते अचानक से रंजीत कहता है कि नहीं यार जैसा भी हो वह आदमी शायद कुछ इनोसेंट से ही कह रहा था उसकी आंखों में मुझे ऐसा पागलपन नहीं दिखा उसकी आंखों में मुझे सिर्फ डर दिखाई दिया उसकी आंखों में डर सिर्फ इसी कारण से हो सकता है ना कि उसने कुछ ना कुछ यहां पर एक्सपीरियंस किया होगा यहां पर उसकी दुकान है यार और ना जाने कब से होगी व ऐसे ही तो कुछ भी कहेगा नहीं एक पागल आदमी अपनी ठीक-ठाक सी दुकान ऐसे ही मेंटेन नहीं कर सकता हम लोग चलते है यहां से रजीत की बात पर अब ये दोनों हंसने लगे बोले बस तेरा भी फिल्म शुरू हो गया अरे कुछ नहीं है यार चलो यार चिल मारते हैं | यह लोग बिना सोचे समझे गए हैं चूहा उल्ला लगाए हैं अपना खाना बनाए हैं टाइम पास किए हैं रात के 1:30 बजे के आसपास इनको ऐसा लगा कि हम ट्रिप तो बढ़िया से एंजॉयमेंट के साथ यहां पर कर लिए हैं अब कुछ बचा नहीं है हमने ढेर सारी फोटोस खींच लिए हैं कुछ पका के खा भी लिए हैं कहानियां भी कर लिए हैं और बातें भी कर लिए हैं बहुत कुछ कर लिए हैं अब चलते है अब ज्यादा बिना मतलब के ऐसा रुकेंगे यहां पे रात खराब करेंगे तो यह वाली मेमोरी हमारी खराब पड़ जाएगी इसको ऐसे ही रहने देते हैं चलते हैं चलो चलो चलो इन लोगों के पास एक कैमरा था उस जमाने में रोल वाला रील वाला कैमरा चलता था वो कैमरे में रील डलती थी और उससे खिचिक खिचिक फोटो खींचती थी और फिर वो रील को डेवलप करने के लिए भेजा जाता था और फिर फोटो बनकर आती थी |
अचानक हुवा कुछ अजीब
उस जमाने में मोबाइल भी इतने एडवांस नहीं थे और ना ही डिजिटल कैमरो का इतना ज्यादा बूम आया हुआ था मिडिल क्लास लोग अपने पास रील वाले कैमरे रखा करते थे तो रंजीत हमेशा अपने पास कैमरा रखता था और जब से यहां पर आया था ढेर सारी फोटोस खींच रहा था कभी संजय की अकेले तो कभी प्रभाकर की अकेले कभी ये दोनों की साथ में तो कभी दुनिया भर की साथ में अब यह लोग जब अपना सामान आमान उठाकर डालने लगे तो रंजीत बोलता है यार रील में सिर्फ दो-तीन फोटो बची हुई है प्रभाकर मेरी फोटो थोड़ी सिंगल निकाल देना तुम लोग की तो बढ़िया मैंने निकाला मेरी एक भी फोटो नहीं है प्लीज यार निकाल देना थोड़ा जंगल में ऐसा हाथ फैला के खड़े होगा हीरो जैसा अच्छा लगेगा प्रभाकर बोलता है यार तुझे भी अभी फोटो खिंचा नहीं है मुझे सूसू आई हुई है मैं हल्का होके आ रहा हूं | संजय यह रंजीत की फोटो खींच देना और ऐसा बोलकर प्रभाकर जल्दी जल्दी दौड़ के जाने लगता है हल्का होने के लिए अब दोस्तों ये लोग जहा पर पार्टी कर रहे थे ना जहां पर पिकनिक मना रहे थे वो खुला सा मैदान था हल्का होने के लिए इलाका थोड़ी आगे था दो पेड़ों के पीछे की तरफ यह थोड़ी आगे पेड़ों की तरफ बढ़ने लगा और इतना ही देखा की संजय ने मोबाइल लिया है रंजीत की फोटो खींचने के लिए और यह अपना हल्का होने के लिए चल गया मस्त से हल्का हुआ और जैसे ही अपने दोस्तों के पास पहुंचा तो वह देखता है कि उस जगह पर कैमरा एक जगह फेका पड़ा हुआ है और कैमरे से कुछ ही कदम आगे संजय जो फोटो खींच रहा था रंजीत की वह ऐसा पड़ा हुआ है पूरा मुंह टेढ़ा शरीर अकड़ गया है हाथ पैर सब अकड़ गए हैं व कापते हुए कुछ तो भी बोलने की कोशिश कर रहा है |

यह घबराकर उसके पास जाता है अरे संजय तू ठीक तो है ना तुझे क्या हो गया कैमरा क्यों फेंक दिया और रंजीत कहां है जिसकी तू फोटो खींच रहा था वो कुछ बोलने की कोशिश कर रहा है लेकिन बोल नहीं पा रहा है बोल भाई कुछ प्रॉब्लम हो गई है क्या प्रभाकर देखकर समझ गया की जो संजय ऐसा हुआ पड़ा है ना उसके पूरे शरीर में पैरालिसिस का अटैक आ गया है वह सोचा कि रंजीत कहां चला गया उसको छोड़कर रुक देखता हूं वह रंजीत रंजीत रंजीत चिल्लाने लगा लेकिन रंजीत का कोई रिस्पांस ना आया अब जहां पर इन लोग की स्कूटर खड़ी हुई थी स्कूटर के जस्ट पीछे ये उसको ढूंढते ढूंढते पहुंचा तो क्या पाया स्कूटर के ठीक पछे वो ऐसा कुड़ा बन के मरा हुआ पड़ा है | ये देखकर वहीं पर जम गया वो पूरा अकड़ चुका था फिर प्रभाकर ने उसकी नब्स चेक किया नब्स बंद थी शरीर ठंडा था उसकी जान निकल चुकी थी मुंह खुला हुआ था वह मन मे सोचा कि कुछ गड़बड़ हो गई है फिर प्रभाकर भागते हुए संजय के पास जाता है संजय सुन तू ना हिम्मत बनाए रखना मैं स्कूटर लेकर जा रहा हूं और किसी ना किसी की मदद लेकर आता हूं तू हिम्मत बनाए रखना रुक मैं तेरे को साइड में बैठा देता हूं वो उसको साइड में लेकर गया और एक पेड़ था वहां पर टिका के उसको बैठाने की या लिटानी की कोशिश किया और तेजी से स्कूटर भगाते हुए वो थोड़ी आगे निकला दूसरे रास्ते की तरफ क्योंकि जिस रास्ते से ये लोग अपने गांव से आए थे उस रास्ते में आसपास कोई बस्ती छोटा गांव नहीं था इसलिए एक छोटे गांव या बस्ती की तलाश में वो दूसरे रास्ते में गया और दो या तीन किलोमीटर के बाद उसे एक छोटी सी बस्ती दिखाई दी |
जंगल में 2 दोस्त की मौत
रात के 3 भले ही बज रहे थे लेकिन यहां पर एक छोटी सी झोपड़ी थी वहां पर लाइट जल रहा था वो एक छोटा सा ढाबा जैसा था वहां पर दो लोग बैठे हुए थे बुजुर्ग लोग उम्र रही होगी ये कोई 65 से 70 साल की दोनों बैठ के बात कर रहे हैं वहां पर एक टेलीफोन भी लगा हुआ था जो टेलीफोन बूथ होता है वह जल्दी से हड़बड़ाते हुए टेलीफोन बूथ के पास बढा कि दोनों आदमी उसको देखकर बोलते अरे अरे बेटा संभाल कर तुम थोड़े परेशान लग रहे हो कोई तकलीफ है क्या हम कुछ मदद कर सकते हैं यह घबराते हुए फोन उठाने से पहले उन बुजुर्गों के पास जाता है और उनको सारी बात बता देता है कि मेरा एक दोस्त ऐसा मरा पड़ा है और एक दोस्त को ऐसा लकवा पड़ गया है आप मदद कर देंगे तो बहुत अच्छा होगा दोनों बुजुर्ग लोग बोलते हैं कि ठीक है | तुम फोन बूथ तक आये हो तो पुलिस वालों को फोन करो एंबुलेंस को फोन करो हम लोग चलते हैं तुम्हारे साथ यह फटफ फटफट फोन लगा देता है पुलिस वालों को भी एंबुलेंस को भी जगह बता देता है क्योंकि ये जगह फेमस थी पिकनिक स्पॉट थी और वो दोनों बुजुर्ग को अपनी स्कूटर में बैठाकर आता है और उस पॉइंट पर लेकर जाता है जैसे ही वहां पर पहुंचते हैं तो देखते हैं कि संजय की हालत तो और भी ज्यादा खराब दिख रही है रंजीत तो मरा पड़ा हुआ है संजय की हालत और ज्यादा खराब है तो उसको उठाते हैं बैठाने की कोशिश करते हैं उसको पानी पिलाने की कोशिश करते हैं कि उतने में ही वहां पर एंबुलेंस और पुलिस आ जाती है एंबुलेंस में दोनों को डाला जाता है पुलिस वाले तहकीकात करते हैं |
काफी समय निकल जाता है इसको पुलिस स्टेशन तक भी लेकर जाते हैं और फिर यह हॉस्पिटल तक जाता है बहुत कुछ होता है और फिर फाइनली आखिरकार सुबह हो जाती है सुबह के लगभग 4:30 या 5:00 बजे के आसपास प्रभाकर को बोला जाता है कि तुम जाओ जो लड़का मरा हुआ है उसके घर वालों का नंबर तो तुम दे दिए हो और जो लड़का लकवा से पड़ा हुआ है उसके घर वालों का भी नंबर दे दो और तुम जाओ हो सके तो उनके घर वालों को बता भी देना इसने बोला हां सर वो मेरे घर के पास में ही रहते हैं इसने वो स्कूटर उठाया और फिर घर आया | ये सारी की सारी बात संजय और रंजीत के घर वालों को भी पता चल चुकी थी पुलिस वालों का फोन आ चुका था और वह भी निकलने की पूरी तैयारी में थे गाड़ी उनके घर के सामने लगी हुई थी इसको बोलते हैं बेटा तू भी जल्दी से गाड़ी में बैठ जल्दी-जल्दी चलते हैं और चलते-चलते तू पूरी बात बता क्या हुआ क्या नहीं यह गाड़ी में सवार हो जाता है वापस से उधर जाने के लिए और पूरी बात बता रहा है संजय के घर वालों को भी रंजीत के घर वालों को भी लेकिन कोई ऐसे सिचुएशन में क्या करें सिर्फ रोना गाना मचा हुआ है हालत खराब है |
कैमरे में दिखी चुड़ैल

सब हॉस्पिटल मे पहुंचे और जैसे ही हॉस्पिटल के अंदर कदम रखते हैं की नर्स भागते भागते बाहर आई और तुरंत इनको देखकर बोली माफ कीजिएगा संजय भी अब इस दुनिया में नहीं रहा दोस्तों फिर क्या था घर वालों की तो ऐसी कंडीशन हो गई ऐसी कंडीशन हो गई जिसकी कोई लिमिट नहीं पुलिस वालों ने हॉस्पिटल वालों ने सभी ने एक दूसरे को समझाते है और फिर चीजें जैसे-तैसे करके एडजस्ट हुई आखिरकार इन दोनों के मृत शरीर को यहां से ले जाया गया और उनका अंतिम संस्कार किया गया लेकिन चीज यहीं पर खत्म नहीं होती है इसके ठीक एक हफ्ते बाद प्रभाकर के घर में फोटो स्टूडियो से एक फोन आता है प्रभाकर फोन उठाता है यह फोटो स्टूडियो वाला प्रभाकर को घबराते हुए कहता है भाई तू जल्दी से मेरे स्टूडियो आ जा तूने जो कैमरा दिया हुआ था उसकी रील की फोटो मैंने डेवलप किया है | एक एक फोटो डेवलप किया लेकिन आखरी की जो मैंने फोटो डेवलप किया है उसे देखकर तो हिल जाएगा जल्दी आ यह हड़बड़ाते हुए फोटो स्टूडियो पहुंचा और जैसे ही आखरी में खींची हुई फोटो को देखा है तो उसके हाथ पैर वहीं पर सुन्न पड़ गए इसने क्लियर क्लियर देखा जिस फोटो में बेचारा रंजीत ऐसे हाथ फैला के हीरो जैसा पोज करने की कोशिश कर रहा था उसके जस्ट पीछे एक खतरनाक चुड़ैल खड़ी हुई थी जो कि बहुत ज्यादा स्केरी दिखाई दे रही थी फिर भी प्रभाकर ये सब देख कर विश्वास नहीं किया और बोला तुमने इन फोटोस के साथ कुछ किया तो नहीं है न झूठ मत बोलो किसी की मृत्यु हो गई ऐसे मजाक मत करो मेरे दोस्त है तुम्हारी ऐसी तैसी कर दूंगा फोटो स्टूडियो वाला बोलता है कि भाई मैं थोड़ी बहुत छेड़छाड़ फोटो के साथ कर सकता हूं मानता हूं लेकिन मैंने इसमे कुछ भी नहीं किया है |
एक काम कर तू अंदर रेड रूम में चल रेड रूम मतलब वो होता है जहां पर फोटोस को डेवलप किया जाता है मैं तुझे दिखाता हूं उसने वो रील दिखाया वह रील में भी देख पा रहा है कि उसके पीछे ऐसा कुछ खड़ा हुआ है उसके पीछे कोई तो खड़ा है रील में चेहरा नहीं दिखता है क्लियर नेगेटिव नेगेटिव दिखता है लेकिन फिर भी वह देख पा रहा है क्लियर वह फोटो रील के साथ संजय और रणजीत के घर पर पहुंचा है और जैसे ही सबको दिखाया तो जो सब धीरे धीरे से वह सदमा बुलाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन सबके दिमाग में जहन में वो घटना और भी खतरनाक तरीके से ताजा हो गई और इनके घर पर बुरी तरह से मातम छा गया कि बताओ यह घूमने गए और एक चुड़ैल चिपका लिए और दोनों की मृत्यु हो गई |
दोस्तों अगर कहानी अच्छी लगी हो तो लाइक जरूर करे और कमेन्ट मे अपने राय भी जरूर दे चलिये मिलते है किसी और सच्ची घटना वाली कहानी के साथ तब तक के लिए अलविदा |
Thank You
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