Ashwatthama

Ashwatthama से मिलने की दिल दहला देने वाली | Real Story

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Ashwatthama

आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी आ गई की साक्षात अश्वत्थामा ( Ashwatthama ) को एक साधारण से इंसान के सामने आना पड़ा उसकी मदद करनी पड़ेगी दोस्तों आप सभी लोगों के सामने अश्वत्थामा से जुड़ी हुई उनको देखने की लेकर एक ऐसी अजीबोगरीब कहानी लेकर आ गया हूं जीसे सुनकर आप लोग विश्वास नहीं कर पाएंगे  की अश्वत्थामा आज भी जीवित है ये केवल मैं ही नहीं बहुत सारे लोग भी दावा कर चुके हैं की उन्होंने अश्वत्थामा को देखा है अगर आप लोग महाभारत की नॉलेज रखते हैं तो आप लोगों को पता ही होगा की किस प्रकार से भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को यह श्राप दिया था की वो कलयुग के अंत होते तक अश्वत्थामा को जीवित रहना पड़ेगा और आज एक ऐसी ही घटना को आप लोगों को बताने जा रहा हूं जो विवश नाम के लड़के के साथ जुड़ी हुई है विवश वेस्ट बंगाल के एक ऐसे परिवार से बिलॉन्ग करता था जो बहुत ही धार्मिक थे इनको भगवान के ऊपर काफी ज्यादा विश्वास था उनके ऊपर आस्था बहुत ज्यादा थी इनकी पीडिय अपने बच्चों को उनके बच्चों को यही सिख देते आ रही थी की हमेशा भगवान के भक्ति भाव में लीन रहना चाहिए बाकी सारी चीजे इस दुनिया की मोह माया है |

 इसी परिवार में एक विवश नाम के लड़के का जन्म होता है जब वह थोड़ा बड़ा हुआ तो घर के सारे लोग समझ गए भाई ये लड़का बहुत यूनिक है क्योंकि इसको पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ वेद पुराणो में भी उतना ही ज्यादा इंटरेस्ट था जैसे जैसे बड़ा हो रहा था पढ़ाई लिखाई तो प्रॉपर्ली कर ही रहा था दुनिया का ज्ञान भी अर्जित कर रहा था, वेद पुराण में भी बिल्कुल भी पीछे नहीं था बचपन से ही अपने पिताजी और  माताजी से महाभारत रामायण की कहानी सुन-सुन कर बड़ा हुआ था महाभारत के बारे में सुनता था तो काफी ज्यादा हैरान होता था की बताओ कितना बड़ा युद्ध हुआ होगा महाभारत मे इतने सारे लोगों की मृत्यु हुई कितना बड़ा धर्म युद्ध रहा होगा कैसे-कैसे लोगों ने लड़े होंगे इसे सब कुछ पता था इसकी बचपन से इच्छा थी की मैं अपनी आखरी सांस लेते तक इस दुनिया के 12 ज्योतिर्लिंगो को विजिट करु पूरे 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर बाबा भोलेनाथ का आशीर्वाद ले लु इसने अब तक तीन ज्योतिर्लिंग घूम लिया था जिसमें से एक रामेश्वरम दूसरा महाकालेश्वर और तीसरा केदारनाथ इनमें से जो महाकालेश्वर के दर्शन की ट्रिप थी यह इनके लाइफ में कुछ अजीबो गरीब सा एक्सपीरियंस दे गई |

2017 की बात है ये लोग उज्जैन में महाकालेश्वर के दर्शन करने के लिए पहुंचे विवश अकेला थे वहां पर इनके पिताजी माताजी इनके साथ नहीं गए हुए थे महाकालेश्वर के बहुत अच्छे से दर्शन हुए और अब इनको समझ में आया की यार मैं उज्जैन में हूं तो यहां से असीरगढ़ का किला ज्यादा दूर नहीं होगा बचपन से ही जैसा मैंने आप लोगों को बताया महाभारत की कहानी सुन-सुन कर बड़ा हुआ था तो अश्वत्थामा के बारे में वह सुना हुआ था की वो आज भी जीवित है और बुरहानपुर में मौजूद असीरगढ़ के कीले में आज भी रोज आते हैं और इस किले के मंदिर में मौजूद शिवलिंग की पूजा सबसे पहले करके चले जाते हैं वह सुना हुआ था तो वह सोचा की यार मैं मध्य प्रदेश में आया हु उज्जैन में हूं तो असीरगढ़ यहां से बहुत दूर नहीं होगा देखता हूं बस ट्रेन पकड़ कर निकल जाता हूं और वहां पे दर्शन करके आ जाऊंगा वह रेलवे स्टेशन में पता करता है की यहां से क्या मैं बुरहानपुर पहुंच सकता हूं ट्रेन पकड़ कर तो पता चलता है की यहां से उज्जैन से डायरेक्ट बुरहानपुर की ट्रेन नहीं मिलेगी आप इटारसी चले जाओ और इटारसी से आपको फिर बुरहानपुर की ट्रेन मिल जाएगी तो विवश यही करता है इटारसी की बस पकड़ लेता है |

Station पहुचने के बाद

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इटारसी वहा से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर था अब इटारसी पहुंचकर वहां से ट्रेन के बारे में पता करता हैं और फाइनली रात के 3:00 बजे के आसपास ये बुरहानपुर ट्रेन पड़कर पहुंच जाता है लेकिन  3:00 बजे स्टेशन पर पहुँच कर देखा की बुरहानपुर का स्टेशन बहुत बड़ा था और समझ में भी नहीं आ रहा था की यहां से जाऊं तो जाऊं कहां, कहा की बस पकड़ु कहां की ऑटो पकड़ु इस एक सोच के साथ ही बाहर निकलता है तो बाहर तीन ऑटो वाले खड़े हुए थे उनसे जाकर पूछता है की भाई मुझे असीरगढ़ के किले में जाना है तो आप छोड़ देंगे क्या तो ऑटो वाले बोलते हैं की अभी बहुत रात का वक्त है इतने बजे कोई साधन मिलेगा नहीं और जाने से कोई फायदा भी नहीं है अंदर नहीं जा पाओगे एक काम करो स्टेशन में सो जाओ फिर जैसे सुबह होगी सुबह सुबह ही तुम निकल जाना बाहर तुमको बस गाड़ी कुछ भी मिल जाएगा और फिर तुम आराम से पहुँच जाओगे विवस सोचता है ये आइडिया भी अच्छा है इतने सुबह वैसे भी जाके क्या करूंगा और वह स्टेशन के अंदर चला जाता है और वहीं पर स्टेशन में सो जाता है |

अब हमारी बहुत दिन से टूर चल रही थी तो नींद बिल्कुल अच्छे से हो ही नहीं पा रही थी लेकिन पता ही नहीं चला की कैसे गहरी नींद आ गई और सुबह कब हो गई कितने बज गए कोई अंदाज़ा ही नहीं लगा फिर आरपीएफ का एक जवान आके उठाया भाई उठ जाओ कहां जाना है निकलो सुबह हो गई है समय भी बहुत ज्यादा हो चुका है विवस भी घबरा कर उठा अरे अरे फिर घड़ी देखा बहुत ज्यादा टाइम हो गया था फिर वॉशरूम वगैरा किया और फिर बैग में जो भी बाहर निकाला था अपना चादर सब अंदर डाला और बाहर निकला पता करते करते एक बस स्टॉप के पास पहुंच गया उसे बस स्टॉप में बस भी लगी हुई थी बुरहानपुर से असीरगढ़ जाने वाली थी फिर भी वह कंडक्टर से पूछ ही लिया की असीरगढ़ के किले तक यह बस जाएगी क्या कंडक्टर ने बोला हां जाएगी बैठो बैठो वह बस में बैठ गया बस चलना शुरू हुई तो विवस कंडक्टर के बाजू में ही बैठा हुआ था तो कंडक्टर से बोल दिया की यार मुझे बता  देना मैं पहली बार जा रहा हूं ना यहां पे पहले कभी आया नहीं हूं तो किला वाला रास्ता आएगा तो बस रुकवा देना मैं उतर जाऊंगा कंडक्टर बोला ठीक है टेंशन मत लो मैं तुम्हें सही जगह पर उतार दूंगा |

फिर वहां से तुमको वॉक करके ही जाना रहेगा विवस अब बाहर की चीजों का मजा लेते हुए आगे बढ़ने लगा खूबसूरत जंगल वादिया थी एकदम अलग माहौल ऐसा की इसने पहले कभी देखा नहीं था अपने मोबाइल से बढ़िया फोटो खींचते हुए जा रहा था थोड़ी देर बाद बस वहां पर पहुंच गई कंडक्टर ने उतार दिया वह उतरा नीचे तो देखा वही बगल चाय वाला था तो वह चाय वाले से पूछा की किले तक कैसे जाना है तो चाय वाले ने बोला की वहा सीडी है ऊपर जाना है तो वह चढ़ा काफी ज्यादा काफी ऊपर चढ़ कर जाना था लेकिन खैर ये चढ़ने लगता है बहुत समय बाद सारे बंदर वगैरा भी मिलते हैं बहुत सारे जानवर भी दिखाई देते हैं और यह पहुँच जाता हैं असीरगढ़ के किले के पास वह किले का दरवाजा देखता हैं किले का दरवाजा के साथ ही साथ पूरा किला ही बहुत बड़ा था लेकिन यह किला बन्द था क्योंकि यहां पर इस दिन कुछ काम चल रहा था टूरिज्म के लिए कुछ मरम्मत का काम चल रहा था तो विवस यह देख कर काफी ज्यादा मायूस हुआ की मैं अंदर जा नहीं सकता हूं आज जा नहीं पाया तो उसे बड़ा दुख हुवा की इतनी दूर से आया हूं नहीं जा पा रहा हूं |

मन्दिर पंहुचा लड़का

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खैर कुछ देर खड़ा रहा और लोगों से पूछने की कोशिश किया लेकिन सब लोगों यही बोले जो लोग वहां पर कम कर रहे थे की नहीं भाई नहीं जा पाओगे आज बन्द है आज कोई नहीं जा पाएगा तुम ही क्या अब विवस मायूस होकर लौटने लगा और लगभग आधा रास्ता उतरा ही था की ढेर सारे बंदर लाइन से इसके सामने आकर खड़े होकर रास्ता ब्लॉक कर दिए ये हैरान रह गया की इतने सारे बंदर क्यों आए है लेकिन उसका मन बहुत ही ज्यादा मायूस था तो ज्यादा कुछ सोचा नहीं बस उनको हटाने लगा और आगे बढ़ने लगा लेकिन जान नहीं पा रहा था की बंदर पता नहीं ऐसा क्यों कर रहे थे फिर अचानक से नजर पड़ी की नीचे से एक आदमी चल कर आया इस आदमी को देखकर सारे बंदर इधर-उधर भाग गए वो आदमी जैसे इसके तरफ आया तो वह आदमी विवस को देख के बोलता है की क्या हुआ भाई कहां से  आ रहे हो वह बोलता है की मैं ऊपर गया हुआ था किला देखने लेकिन देख नहीं पाया मैं अंदर घूम नहीं पाया क्योंकि किला बन्द है वहा पर काम करने वाले लोग बोल रहे हैं वैसे आप कौन हो विवस ने पुच्छा तो सामने खड़ा हुआ आदमी कहता है की अरे मै वहीं पर कम करता हूं और मेरा कुछ सामान किले के अन्दर छूट गया था तो मैं लेने के लिए आया हूं |

तो यह बोलता हैं तो मतलब आप अंदर तक जाओगे तो उसने बोला हां तो यह बोलता है की यार मुझे थोड़ा सा दिखा सकते हो क्या अंदर किले का मै देखने के लिए बहुत दूर से आया हुआ हूं और मन में बहुत श्रद्धा भक्ति से आया हुआ हूं तो थोड़ा देखने दो ना आपकी बहुत मेहरबानी होगी तो सामने खड़ा हुआ आदमी बोलता है ठीक है चलो कोई बात नहीं लेकिन हां जल्दी घूम लेना ज्यादा समय मत लगाना विवस बोलता है ठीक है चलो अब यह जल्दी जल्दी खुश होकर जाने लगता हैं ऊपर जाकर किले मे जाने के लिए एंट्री करते हैं फिर वो आदमी कहता हैं की जाओ अंदर और जल्दी से घूम कर आना मैं ज्यादा देर तक यहां पर रुकूंगा नहीं मुझे दरवाजा बन्द करके निकलना भी है वैसे भी आज बन्द वाला समय है यह बोलता है ठीक है मैं आता हूं और वह अब किले के अंदर इंटर करता है तो देखता है की बहुत खूबसूरती से किला बना हुआ है राजा का दरबार कहां था वो समझ में आ रहा है रसोई कहां थी बेडरूम कैसा था सब कुछ देखता हैं सैनिकों का जहां खाना बनता था यह सारी कुछ देखा और घूमते घूमते अचानक से उसकी नजर उस मंदिर पर पड़ी जो विश्वनाथ जी का मंदिर था जिसको देखने के लिए स्पेशली यहां पर आया हुआ था लेकिन टेंशन टेंशन में दिमाग पूरा फिर गया था

तो वह बोला अरे भोलेनाथ का मंदिर मैं तो मिस कर देता पता नहीं कहां ध्यान है तो मंदिर के अंदर भाग कर जाने लगा मंदिर के अंदर जैसे इंटर किया तो देखा की शिवलिंग के सामने सफेद रंग के फूल चढ़े हुए हैं और दीपक जल रहा है तो उसे बड़ी हैरानी हुई की यहां पर तो कोई है नहीं तो फिर ये पूजा करके कौन गया है विवस को यह बात नहीं पता थी की अश्वत्थामा पूजा करके जाते हैं खैर इसने देखा की साइड में एक लोटा रखा हुआ है तो उसकी नजर गई एक कुंड में केले के अंदर ये कुंड था तो इसने सोचा की लोटे में कुंड से जल लेकर आ जाता हूं और शिवलिंग के ऊपर थोड़ा चढा दूंगा आशीर्वाद ले लूंगा अब आया हूं इतनी दूर से तो उसने लोटा उठाया और उस कुंड से पानी निकालने के लिए गया  अब पानी निकाल रहा था की अचानक से बगल में उसकी नजर पड़ी पाया की बगल में बहुत ही लंबा सा आदमी उस कुंड में फूल धो रहा है तो यह देख कर बड़ा हैरान हुआ की यार अभी तक तो अंदर कोई भी नहीं था मैं पूरा इलाका घूम रहा था मैं अकेला था मुझे तो डर भी लग रहा था अकेलेपन के करण तो यह आदमी कौन है और कहां से आ गया क्योंकि उसका होलिया भी थोड़ा हैरान कर देने वाला था एकदम हटा कट्टा बहुत लंबा और एक शॉल कंबल जैसा ओडा हुआ है और सर में कुछ गमछा जैसा बांध हुआ है धोती पहना हुआ है |

लड़के को मिला कोई अनजान

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फिर बोला पता नहीं कौन है और फिर अपना जल लिया और जैसे ही मंदिर के अंदर गया ही था  शिवलिंग के सामने पहुंचा ही था की वहा देखकर मानो उसके पैरों के नीचे जमीन निकल गई बात ये है की शिवलिंग के साइड में वही व्यक्ति बैठा हुआ था और फूल चड्ढा रहा था मंत्र पढ़ रहा था विवस थोड़ा घबरा गया क्योंकि वो आदमी जो अभी बाहर फूल धो रहा था इसको देख के ही मैं अंदर चला आया  जल्दी-जल्दी की थोड़ा यह डिफरेंट सा दिख रहा है और यही आदमी अंदर भी कैसे बैठा हुआ है तो वह थोड़ा डर कर जल चढ़ाने लगा तो वह आदमी जलाभिषेक वाला मंत्र पढ़ने लगा तो विवस को लगा की ये आदमी जलाअभिषेक वाला मंत्र क्यों पढ रहा है जबकि जल तो मै चढा रहा हूं तो विवस ने जल चढ़ाई आशीर्वाद लिया और उस आदमी से पूछ लिया की आप कौन हो आप तो बाहर फूल धो रहे थे मैं पहले आया तो आप अंदर कैसे बैठे हुए थे उस आदमी ने बोला कहां पहले, पहले मैं ही आया हूं आपको ऐसी गलतफहमी हुई होगी चलो कोई बात नहीं पूजा अच्छे से हो गई दर्शन अच्छे से हो गई वैसे आप कहां से आए थे ऐसा वो लंबा सा आदमी जो था वह पूछा |

विवस ने बताया बंगाल से और फिर विवस ने बोला की आप कौन है आप बता सकते हैं वह अपना नाम तो नहीं बताते सामने बैठा हुआ आदमी बस कहते है की मैं इस मंदिर का पुजारी हूं रोज पूजा अर्चना करने के लिए यहां पर सबसे पहले आता हूं लोग मेरे बारे में बड़ी मनगढ़ंत बातें कहते हैं, कहते हैं की मैं किसी को दिखाई नहीं देता बताओ क्या मैं तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा तो ये बात सुनकर ना विवस को थोड़ी सी हंसी आ गई उसको लगा मजाक कर रहा है ऐसे करके दोनों के बीच में बातचीत होने लगी अब बातचीत बहुत अच्छी हो रही थी और विवस फोटो हर जगह की खींच रहा था फिर विवस बोला मुझे शिवलिंग की फोटो खींचना है तो मैं इसके साथ आपकी भी फोटो साथ की खींचता हु आप तो पुजारी है  न लेकिन कल भी गेट बन्द रहेगा तो आप कैसे पूजा करेंगे तो पुजारी जो थे वो कहते हैं देखो वो सामने जो छोटा सा घर दिखाई दे रहा है वही तो मैं राहत हूं मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता वो गेट बन्द करें या खुला छोड़ें मैं तो मंदिर में आऊंगा पूजा तो करूंगा उसे दुनिया में कोई ताकत मुझे रोक नहीं सकता तो इसने देखा हां यार घर तो दिखाई दे रही थी लेकिन थोड़ी देर पहले क्यों दिखाई नहीं दे रहा था |

खैर अब वह आशीर्वाद लिया पंडित जी का और बाहर की तरफ निकलने लगा बाहर की तरफ निकला ही था  की वह सोचा की पंडित जी को थोड़ी दक्षिणा तो दे देता हूं यार मैंने दक्षिणा नहीं दिया और जैसे पलटता है तो पीछे पंडित जी खड़े नहीं थे वह बड़ा हैरान हुआ की पंडित जी कहां निकल गए हो सकता है भाई किला है अलग-अलग जगह अलग-अलग कमरे बने हुए हैं इधर उधर चले गए होंगे कोई बात नहीं किले से निकल जाता हूं कहके निकला जैसी बाहर तो बाहर जो भैया थे जिन्होंने दरवाजा खोला था वो कहते हैं क्या हुआ भाई बड़ी लेट कर दिया मैंने तो बोला था जल्दी आना तुम तो उतना ही ज्यादा लेट कर दिए उसने बोला अरे भैया अंदर बहुत बड़ा और बहुत सुंदर खूबसूरती से सब कुछ दिखाई दे रहा था तो थोड़ा मंत्र मुग्ध हो गया था घूमने लगा था कोई बात नहीं माफ कर दीजिए और अब बन्द कर दीजिए ऐसा बोलकर उसने बन्द कराया और दोनों नीचे उतरने लगे तो वह आदमी बोला क्या क्या देखें अंदर बताओ तो वह सारी बात बताया और फिर बोला की मैं मंदिर भी गया था |

Ashwatthama को देख लड़का डरा

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वहां पे पुजारी जी भी मिले थे उनसे भी बात की उनका घर भी देखा तो जो वॉचमैन भैया थे चलते-चलते थोड़ा थंम गए और बोले क्या किसको देखा तुमने तो वह बोलता है पुजारी जी को और उनका घर भी देखा उस आदमी ने बोला क्या बात कर रहे हो भाई ये सिर्फ और सिर्फ एक किला है यहां पर किसी का घर नहीं है यह बोलता है की नहीं घर है पुजारी जी मुझे दिखाई दिए थे सफेद धोती में लंबे से वही फूल चढा रहे थे फूल धोते हुए मैंने देखा उनसे बहुत बात किया हूं उनकी फोटो भी खींचा हूं फोटो दिखाने के लिए मोबाइल निकाला लेकिन मोबाइल स्विच ऑफ था वह बड़ा हैरान हुआ ये मोबाइल में तो लगभग 75% बैटरी थी स्विच ऑफ कैसे हो गया तभी वॉचमैन बोलता हैं भाई तुम बड़े किस्मत वाले हो ऐसे भाग्यशाली लोगों को ही अश्वत्थामा के दर्शन मिलते हैं आज तुमको मिल गए तुम समझ नहीं पा रहे हो आज तुमने क्या एक्सपीरियंस कर लिया है अब जैसे ये बात वॉचमैन की मुह से विवर्स ने सुना एकदम  शाक हो गया और बोला यह कैसी बात कर रहे हैं आप मजाक कर रहे हैं न भैया वह आदमी बोला क्यों भाई मैं मजाक तुमसे क्यों करूंगा ऐसा मजाक क्यों करूंगा तुमको पता नहीं है क्या अश्वतथामा के बारे मे जब ये किला बन्द रहता है यहां पर कोई आता नहीं है तो अश्वत्थामा सबसे पहले पूजा अर्चना करके लोट जाते हैं |

वह आदमी विवस से बोला तुम सोचो आज तो सच मे यहां पर कोई और उस वक्त आ नहीं सकता था तो अश्वत्थामा ही आकर पूजा करके गये है तुम्हारी किस्मत अच्छी थी जो तुमने देख ली तो इसके आंखों से आंसू बहने लगा क्योंकि बात तो विश्वास करने लायक थी इसने भी सोचा यार अंदर घर तो नहीं हो सकता उस समय दिमाग नहीं चला था लेकिन अब सोच रहा हु की कीले के अंदर घर कैसे हो सकता है किले के बारे में बहुत कहानी सुना था लेकिन घर की कोई कहानी नहीं सुना था सारे फ्लैशेज याद आने लगे कैसे मम्मी पापा महाभारत की कहानी सुनाते हैं अश्वत्थामा जीवित है करके और उन्हें अश्वत्थामा को मैंने आज देख लिया मतलब मेरे कितना अच्छे कर्म रहे होंगे यह बड़ी खुशी के साथ वहीं से भगवान को हाथ जोडता है धन्यवाद देता है और फिर वहां से नीचे आके बस पकड़ के अपने घर वेस्ट बंगाल पहुंच जाता है वहां पर पहुंचकर सबको सारी बात बताता है सभी लोग बहुत खुश होते हैं अब विवस घर पर नहाया धोया खाना खाया और सोने के लिए चला गया जब सोया तो सपने में बार-बार बार-बार वही पुजारी जो अश्वत्थामा थे वो दिखाई दे रहे थे  |

और फिर अचानक से ऐसा फूल वर्षा हुआ की इसके आँख खुल गये आंख खुली तो देखा की वही पुजारी सामने है और उनके मस्तक से खून बह रहा है और वो सिर्फ इतना बोले की तुम मुझे मिले तो थे लेकिन मेरी जरा सी भी मदद नहीं किया चाहते तो थोड़ी हल्दी तेल दे देते तो मेरा घाव ठीक हो जाता मेरा आशीर्वाद मिलता तुम्हें जैसे ये देखा सामने नजर की मेरे घर पर मैं ये क्या देख रहा हूं तो वह जोर से चीखा तो भागते हुए मम्मी पापा सब लोग अन्दर आए की मुझे क्या हो गया क्यों चीख रहा है वह  देखा की सामने वो अश्वत्थामा है लेकिन जब सब आ गये तो सामने कोई भी नहीं था अब वहां शाम मैं अश्वत्थामा आए थे या नही पता नहीं लेकिन विवश को तो शक हो गया वो जो साधारण सा इंसान बिल्कुल सिंपल लाइफ जीने वाला बड़ी हाय लेवल की चीज एक्सपीरियंस कर लिया जिसे वो सहन नहीं कर पाया और एक हफ्ते तक बीमार रहा बुखार रहा नींद नहीं आई थी डर लगता था लेकिन एक हफ्ते 8 दिन बाद उसने एक्सेप्ट किया की नहीं जो कुछ भी हुआ ये होना ही था मेरे साथ और इसमें कुछ ऐसा गलत तो हुआ नहीं तो मेरी किस्मत थी मैं भाग्यशाली था ऐसा तो किसी के साथ नहीं होता है तो मैं इतना घबरा क्यों रहा हूं तो उसने अपना मन ऐसा बदला और फिर उसकी तबीयत वगैरा ठीक हुई |

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