सदियों पुरानी कहानियाँ और उनमें छुपे रहस्य हमेशा से हमें अपनी ओर खींचते आए हैं। ऐसा हि कहानी है महाराष्ट के kokan की अगर आप भी ऐसी कहानियों के शौकीन हैं, जहाँ प्राकृतिक सुंदरता और खौफनाक अनुभव एक साथ मिलते हैं, तो महाराष्ट्र का कोकन (kokan) इलाका आपको हैरान कर देगा। यहाँ की हरी-भरी पहाड़ियां, शांत झरने और अनोखा वातावरण जितना दिल को सुकून देता है, उतना ही यहाँ की डरावनी कहानियों से रूह काँप उठती है।

कोकन सिर्फ खूबसूरती के लिए मशहूर नहीं है। इस इलाक़े में कई ऐसे किस्से और कहानियाँ हैं, जो इंसान के दिमाग़ को झकझोर कर रख देती हैं। आज हम एक ऐसी ही कहानी के सफर पर चलेंगे, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। चलिये कहानी शुरू करते है और आपको बताते है kokan की सबसे भूतिया सच्ची घटना को |
कोकन (Kokan) की एक अनोखी शुरुआत
कोकन (kokan) के इस गाँव की कहानी अर्पिता नाम की लड़की से शुरू होती है। अर्पिता जब छोटी थी, तो उसके माता-पिता की अचानक मौत हो गई थी। उसकी देखभाल उसकी दादी ने की, लेकिन भविष्य के बेहतर अवसरों के लिए उसे पढ़ाई करने शहर भेज दिया। और उसे कभी गाँव में आने के बजायदादी खुद मिलने चली जाती थी लेकिन 20 साल के बाद, अर्पिता ने अपने गाँव वापस लौटने का फैसला किया। उसके मन में बचपन की बहुत सारी यादें और अपनों से मिलने का बहुत ज्यादा उत्साह था।
जब वह गाँव पहुँची, तो गाँव के लोगों ने उसका स्वागत किया। उस गाँव की भीड़ में हर कोई ब्यक्ति उसे जान रहा था, लेकिन अर्पिता ज्यादा लोगो को पहचान नही पा रही थी क्योकि जब वह गाँव छोडकर पढने गयी थी तो वह महज 13 साल की थी और उसी भीड़ में एक लड़का था, जिसका नाम अभिषेक था, वह भी अर्पिता के लिए अनजान था। लेकिन अभिषेक उसे देखकर बहुत खुश था और उसने अर्पिता को अपना पहचान करवाने की कोशिश की। मगर अर्पिता ने उसे पहचानने से साफ इंकार कर दिया |

अनदेखे kokan जंगल की ओर सफर
अर्पिता शहर में रहकर सिगरेट पीने की आदत पाल ली थी तो उसे सिगरेट पीने का मन कर रहा था, और वह कोई सुरक्षित जगह खोज रही थी जहा वह आराम से सिगरेट का मज़ा ले सके और उसे कोई देखे भी न, और तभी उसे वही कुछ दूर पर अभिषेक दिखाई दिया, तो अर्पिता ने सोचा की चलो इससे पूछते है और वह अभिषेक के पास जाकर ऐसा एक्टिंग की जैसे वो अभिषेक को जानती हो और उसे ऐसा मिलता देख अभिषेक बहुत खुश हुवा और उसे अच्छा लगा की चलो कम से कम अर्पिता मुझे पहचानी तो अब अर्पिता बात करने लगी और बात करते – करते थोड़े समय बाद |
अर्पिता ने अभिषेक से पूछा कि क्या गाँव के पास कोई ऐसी जगह है, जहाँ वह अकेले जा सके। अभिषेक ने एक सुनसान जंगल को बताया, जो गाँव के करीब था। इस जंगल में लोग जाने से डरते थे, फिर भी उसने अर्पिता के बार बार कहने पर अभिषेक उसे वहाँ ले जाने के लिए हाँ कर दी। और जैसे ही वे जंगल में पहुँचे, अर्पिता ने अपनी सिगरेट जलाई। यह देखकर अभिषेक गुस्से में आ गया और उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन अर्पिता ने उसे अनदेखा कर दिया। शाम का वक्त था सूरज डूबने लगा, तो अभिषेक ने साफ साफ कह दिया कि वह रात में जंगल में नहीं रुकेगा और अभिषेक वापस गाँव की तरफ चला गया।
kokan में डरावनी घटनाओं की शुरुआत

अब अकेले जंगल में, अर्पिता को अजीब-अजीब आवाज़ें सुनाई देने लगीं। तभी उसे अचानक से वहाँ सिगरेट की गंध महसूस हुई, जो वहां पर मौजूद किसी और के होने का इशारा कर रही थी। तो अर्पिता उस ब्यक्ति को ढूढने लगी और ढूँढते-ढूँढते वह जंगल के एक खंडहर तक पहुँच गई। जहाँ उसने एक छोटे बच्चे को देखा, जो खंडहर की छत पर खड़ा था। यह सब देख कर अर्पिता के होश उड़ गए। और सोचने लगी की इस समय एक छोटा सा बच्चा इस जंगल के खँडहर में क्या कर रहा है |
और उसने ऊपर जाकर बच्चे को बचाने की कोशिश की, लेकिन जब वह छत पर पहुँची, तो बच्चा वहा से गायब हो चुका था। फिर उसने निचे देखा तो वह बच्चा उसे नीचे गिरा हुआ पाया। तो अर्पिता जल्दी से निचे जाकर जब अर्पिता ने उस बच्चे को उठाने की कोशिश की, तो बच्चे ने कहा, “जब तुमने बचपन में मेरी जान नहीं बचाई, तो अब क्यों बचा रही हो, यह सुनकर अर्पिता की तो हालत ही खराब हो गई। उसने देखा कि उसी छत पर एक बचपन में अर्पिता जैसी दिखने वाला कोई और खड़ा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है।
अभिषेक का खौफनाक सच

तभी अभिषेक वहां आया और उसने कहा कि वह बच्चा वह था, जिसकी मौत उसी खंडहर में हुई थी। उसने यह भी बताया कि यह जंगल उसका घर था और उसकी आत्मा वहाँ भटकती रहती थी। हर रात, अभिषेक उस जंगल में अपनी मौजूदगी का अहसास दिलाता था।
अर्पिता यह सब सुनकर बहुत दुखी हुई और अभिषेक से माफी मांगनी शुरू की, लेकिन अब अभिषेक का रूप बदल चुका था। वह पहले से अब और भी डरावना लग रहा था। अर्पिता अभिषेक का ऐसा रूप देखकर बहुत डर गयी और डर के मारे वह भागते हुए जंगल से बाहर निकल आई और सीधे अपनी दादी के पास पहुँची।
दादी का अतीत और सच
अर्पिता ने अपनी दादी को सब कुछ बताया जो उसके साथ अभी घटा था पर अर्पिता के बताने के बाद उसकी दादी बोली मुझे पता था वो तुम्हे भी नही छोड़ेगा आज जिसको तुमने देखा उसे मै रोज देखती है और वह मुझे भी आकर बहुत डराता है | फिर दादी ने अर्पिता को बताया वह कौन है जिसे तुमने देखा है और बताती है की यब बात 20 साल पहले की है, जब तुम और अभिषेक उस जंगल के उस घर में खेल रहे थे और खलते खेलते तुम दोनों ऊपर वाले मंजिला पर चले गये थे और फिर वहा से तुन दोनों हि गिर गये थे |
तो दादी मतलब मैने केवल अर्पिता की यानि तुम्हारी हि जान बचाई और तुम्हे लेकर हॉस्पिटल चली गयी थी जब की उस समय अभिषेक भी जिन्दा था। लेकिन मैंने अभिषेक को वहीं छोड़ दिया क्योंकि मुझे डर था कि अगर दोनों को बचाया जाता, तो गांव वाले अर्पिता यानि तुम्कोहे ही दोषी ठहराते। और फिर मै बाद में आकर उसकी लाश को वही खँडहर वाले घर में दफना दिया था, और तब से वह मुझे रोज डराता है |

कहानी से सीख
यह कहानी हमें न केवल डराती है, बल्कि एक गहरी सीख भी देती है। की कभी-कभी हम ऐसे फैसले करते हैं, जिनके नतीजे अनजाने तरीके से हमारे सामने आते हैं। ऐसे अनुभव हमें याद दिलाते हैं कि हमारे कार्यों का प्रभाव कहाँ तक जा सकता है। अगर आपको डरावनी कहानियाँ और रहस्यमयी अनुभव पसंद हैं, तो कोकन की यह कहानी यकीनन आपके लिए है। हमेशा सोच-समझकर कदम उठाएं, क्योंकि कभी-कभी छोटे-से फैसले की कीमत हमें पूरी ज़िंदगी चुकानी पड़ सकती है।
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