मेहंदीपुर बालाजी एक ऐसा मंदिर है जहां पर लोग तरह-तरह की भूत प्रेत बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए पहुंचते हैं यह पूरी दुनिया के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है दूर दराज से लोग यहां पर अपनी बला बत्तर लेकर आते हैं और साफ होकर यहां से बाहर निकलते हैं यह पूरी दुनिया को पता है लेकिन जरा सोचिए ऐसा कभी हो कि कोई व्यक्ति यहां पर पहुंचे और यहां पर पहुंचने के बाद से उसकी पूरी जिंदगी में ऐसी मनहुसियत चढ़ जाए जिसकी कोई लिमिट नहीं हो दोस्तों यह कहानी बहुत ही ज्यादा खौफनाक है यह इतनी ज्यादा डरावनी सैर पर आपको लेके जाएगी कि आपने कभी सोचा नहीं होंगा |
सुमित और सुनीता की रियल horror story

sumit and sunita
यह बात है सन 2001 की जब उदयपुर में एक बड़ा खुशहाल परिवार रहता था इस परिवार में तीन लोग थे छोटे लड़के का नाम सुमित था, सुमित का बड़ा भाई था जिसका नाम आदित्य था और सुमित की हाल फिलहाल में सुनीता नाम की लड़की से शादी हुई थी शादी यही कोई दो महीने पहले हुई थी एक दिन सुनीता को वोमिटिंग होती है और उसके बाद उसकी तबीयत खराब हो जाती है उसको फीवर आता है तो उसे डॉक्टर के पास ले जाया जाता है उसका ट्रीटमेंट शुरू होता है लेकिन हैरान होने वाली बात यह थी कि एक महीने तक उसका फीवर ठीक नहीं होता है एक महीने तक फीवर ठीक नहीं होना थोड़ा अजीब बात था |
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इन 30 दिनों में केवल सुनीता फीवर से ही नहीं जूझ रही थी बल्कि लगातार इसका वजन भी गिरता जा रहा था सुनीता स्वस्थ थी लेकिन इस एक महीने के फीवर ने उसका पूरा शरीर तोड़कर रख दिया था उसका काफी ज्यादा वजन गिर गया था फिर सुनीता के घर वाले उसको लेकर बाहर दूसरे शहरों मे जाते है और दूसरे डॉक्टरों को दिखाते है लेकिन कोई फायदा नहीं मिलता इसके बाद वे लोग जयपुर गए बड़े-बड़े शहर गए मुंबई भी गए चेन्नई भी चले गए लेकिन लगातार सुनीता का वजन गिरता हि जा रहा था शादी के वक्त सुनीता का वजन 55 किलो के आसपास का था लेकिन अब सुनीता 36 kg के आसपास की हो गई थी |
अब सुनीता बिस्तर से उठती भी थी तो चक्कर आते थे इसे बीमारी कह लो या सिचुएशन कह लो इससे जूझते हुए इन लोगों ने लाइफ के लगभग चार महीने काट दिए फिर सुनिता के कोई एक पुराने रिश्तेदार थे उन्होंने इन लोगों को सुझाव दिया कि सुनीता को देख के ऐसा लगता है की इसको बाहरी हवा लगी है इसने शादी के टाइम पर कुछ गड़बड़ की थी क्या तो बात होती है तो यह समझ में आता है कि जब सुनीता की शादी थी तो ये मेकअप कराने के लिए घर से थोड़ी दूरी पर स्थित पार्लर चली गई थी तो सुमित के जो बूढ़े रिश्तेदार थे वह बताते है कि बेटा जिसकी भी शादी होती है |
तो दुल्हन कभी भी शादी की डेट के कुछ दिन पहले से घर से निकलना पूरी तरीके से छोड़ देती है |वो घर से बाहर नहीं निकलती है बूढ़े आदमी बताते है कि अगर दुल्हन शादी के कुछ दिन पहले घर से बाहर निकल जाती है तो उसके ऊपर भला बत्तर चढ़ जाती है सुमित और सुनीता ने यह सब बाते पहले भी सुने हुए थे लेकिन पहले विश्वास नहीं करते थे बूढ़े व्यक्ति ने फिर से इन लोगों को कहा कि देखो हो सकता है चांसेस बहुत ज्यादा है कि बाहरी हवा इसको लगी हुई है समझ में नहीं आ रहा है |
तो मेहंदीपुर बालाजी लेकर जाओ पूरे दुनिया से लोग यहां पर आते है और ये अपने शहर के तो बहुत पास भी है मेहंदीपुर चले जाओ अगर कुछ नेगेटिविटी नहीं भी होगी तो क्या भगवान के दर्शन तो हो जाएंगे साथ में दवाइयां तो चल ही रही है इन लोगों ने बोले यह सही आईडिया है सुमित ने बोला मैं तीन दिन की छुट्टी ले लेता हूं और चलता हूं इन लोगों के पास खुद की कार थी तो कार में बैठते हैं और मंदिर पहुंच जाते हैं बढ़ीया से वहां पर दर्शन करते हैं सब कुछ बढ़िया हुआ |
मेहंदीपुर बालाजी मन्दिर

मेहंदीपुर बालाजी
दोस्तों मेहंदीपुर बालाजी में कुछ नियम थे जिस नियम को जानना वहां पर विजिट करने वालों के लिए बहुत ज्यादा जरूरी होता है लेकिन उन नियमों के बारे में इनको नहीं पता था यह दोनों पहली बार आए हुए थे लेकिन यह आदित्य को पता था की इस मन्दिर के कुछ नियम है लेकिन आदित्य यहां पर पहले कभी आया नहीं था तो उसे भी वह नियम नही पता था इन लोगों का कुछ बिजनेस था और वह बिजनेस आदित्य संभाल रहा था उदयपुर में रहकर खैर यह लोग दर्शन किए |
वहां पर पुजारी जी से थोड़ी झाड़ फुक भी कराई फिर शाम के वक्त के आसपास ही सब कुछ कंप्लीट करके मंदिर से बाहर निकल रहे थे मंदिर के दहलीज से अभी पूरी तरह से ये बाहर नहीं निकले थे की ठीक निकलने ही वाले थे कि पीछे से सुनीता को किसी ने पुकारा सुनीता बेटा यह प्रसाद तो ले कर जाओ सुनीता रुकी सुमित भी रुका और सुनीता पीछे पलटी देखी कि एक ज्यादा उम्र का यही कोई 80 से 85 साल का पुजारी की भेष भूषा में एक आदमी है बूढ़ा है और हाथ में एक लकड़ी की टोकरी जैसी है उसमें प्रसाद है वह सुनीता को दिया सुमित भी देख रहा था |
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तो पुजारी जी ने प्रसाद सुमित को भी दिया दोनों ने खाए स्माइल किया और फिर यह लोग प्रसाद खा के बस पलट के जाने लगे प्रणाम करके अचानक से क्लिक हुआ अरे पुजारी जी को नाम कैसे पता सुनीता का क्योंकि अंदर जब झाड़ फूक कराए थे पूजा पाठ करवाए थे वो पुजारी अंदर मौजूद नहीं थे आपको कैसे पता यह पूछने के लिए दोनों पलटे ही थे कि पुजारी दिख नहीं रहे थे पुजारी गायब थे वहां पर अच्छी खासी भीड़ थी लेकिन वो पुजारी अचानक से गायब हो गये वे बूढ़े थे धीरे-धीरे चलके इनके पास तक आये थे |
इन लोगों ने पहली बार पलट के देखे थे लेकिन जब सेकंड टाइम तुरंत ही पलटे प्रसाद खाके देखने के लिए कि कौन है ये इसको नाम कैसे पता है तो पीछे से वो गायब थे सुनीता देखती रह गई सुमित बोलता है कि देखो भीड़ अच्छी खासी है हो सकता है कि निकल गए होंगे साइड से दिख नहीं रहे हैं चलो छोड़ो ना हम लोग भी निकलते हैं होटल के लिए यह लोग बाहर निकले बढ़िया से अपनी गाड़ी में सवार हुए और होटल पहुंच गए ये लोग सीधे यहां से उदयपुर इसलिए नहीं निकले क्योंकि मेहंदीपुर बालाजी जयपुर के बहुत नजदीक है और जयपुर में इन लोगों को अपने व्यापार के लिए कुछ शॉपिंग भी करनी थी |
और सुनीता की कुछ दवाइयां भी खरीदनी थी इसलिए यह लोग आज रात यहीं पर मेहंदीपुर बालाजी में ही बसना चाह रहे थे ताकि सुबह उदयपुर निकल जाये क्योकि यहा से उदयपुर 772 किमी की दूरी पर था, और अभी जयपुर से दवाइयां लेना, सामान लेना और फिर वहां से सीधा ड्राइविंग करते हुवे अपने शहर उदयपुर पहुंचना मुश्किल था इसलिए यह लोग आज अपने होटल रूम में ही रुकने वाले थे |
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से होटल

ये लोग अपनी गाड़ी में सवार होकर मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से होटल रूम तक पहुंच जाते हैं गाड़ी पार्क करते हैं रात का समय हो गया था खाना वाना खाके यही कोई इनको 9:30 से 10 बज गए थे अब 9:30 से 10 बजे के आसपास ये लोग इतनी ज्यादा थकान महसूस कर रहे थे कि अपने होटल रूम में आते ही दोनों सो जाते है लगभग 10 मिनट मे इन दोनो को गहरी नींद आ जाती है 11 बजे के आसपास इनके होटल रूम का कोई दरवाजा नॉक करता है नॉक से तुरंत ही सुनीता की नींद खुल जाती है और देखती है |
सुमित गहरी नींद में सो रहा है तो सुनीता सोचती है कि नहीं उठाती हूँ अभी 11 ही तो बज रहे हैं हो सकता है कोई रूम सर्विस वाला होगा या हो सकता है कोई होटल के मैनेजमेंट वाला होगा, शायद किसी रीजन से आया होगा मैं ही देख लेती हूं सुनीता उठती है दरवाजा जाके जैसी खोलती है तो अपने सामने उसी पुजारी को पाती है जो मंदिर में इन लोगों को प्रसाद दिये थे और हम लोग जब पलट के देखे थे तो कही गायब हो गये थे यह पुजारी अपने नॉर्मल हुलिया में नहीं थे |
मतलब आंख बंद किये हुवे थे और पुजारी जी अपने चेहरे पर पूरा सफेद सफेद कुछ पोत के आये हुवे थे उनका जितना हाथ दिख रहा था उस पर भी पूरा सफेद सफेद पुता हुआ था सुनीता पुजारी जी का ऐसा हुलिए को देखकर थोड़ी घबरा गई थी जैसे इसने कुछ बोलने को हुई या पीछे हटने को हुई कि पुजारी ने अपनी आंखे खोला उसकी जो आंखों की पुतली के अलावा जो बाकी जगह थी जैसे अपनी ऐसी वाइट वाइट आँखे होती है उसकी पूरी येलो थी, ये सब देखकर सुनीता और भी घबरा गई तभी पुजारी जी ने बोला बेटा तूने मुझसे पूरा प्रसाद नहीं ली थी |
जल्दी-जल्दी में आगे बढ़ गई थी ये ले मैं तेरे लिए और प्रसाद लेकर आया हू, हाथ में वैसी ही सेम टू सेम उतनी चोड़ी और गोल सी टोकरी पकड़ के रखा था ये सब बोल के उसने वो टोकरी का ढक्कन जैसे ही खोला उसमे से साप निकलाऔर वह सुनीता को काट लिया सुनीता चिख के उठी और वह देखी की वह बेड पर है अब सुनीता बहुत डर गयी थी क्योंकि अभी उसने बहुत बुरा सपना देखा था लेकिन उसकी चीखने की वजह से बाजू में सो रहा सुमीत भी उठ गया बोला क्या हो गया सुनीता क्या कोई बुरा सपना देखी क्या |
सुनीता को सिर पर दर्द हो रहा था सपने में जहां पर उस सांप ने ऐसा काटा था सुनीता को वहा पर दर्द हो रहा था और वह उसको टच कर रही थी तो सुमित ने तुरंत बोला यह क्या हुआ है तुम्हारे सिर में यहां थोड़ा सा स्वेलिंग जैसे आ गई थी सुनीता ने पूरी बात सुमित को बता दी कि मैंने ऐसा ऐसा सपना देखि सुमित को बड़ी हैरानी हुई लेकिन उसने संभालते हुए की पत्नी ज्यादा ना डरे वैसे बेचारी की इतनी तबीयत खराब है इसलिए उसने शांतना देने के लिए ये कह दिया कि देखो ऐसा होता है ऐसे सपने मैंने भी कई बार देखा है |
सुमित का सुनीता को दिलासा देना

सपने में देखता हूं कि मुझे कोई कुछ भी चीज आके काट रही है छिपकली काट रही है बिच्छू काट रहा है और सुबह उठता हूं तो उस पॉइंट में मुझे दर्द कर रहा होता है तो ऐसा मेरे साथ भी हुआ है जब बहुत गहरे सपने आ जाते हैं ना तो हमारा माइंड इतना ज्यादा पावरफुल है कि वो चीज क्रिएट कर देता है तुम्हारे साथ भी यही हुआ तुमने सपने में देखी कि वो काटा है इसलिए तुम्हारे यहां पे स्वेलिंग आ गई है टेंशन मत लो सो जाओ |
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उसको अपने हाथ से बढ़िया प्यार से सुला लेता है दोनों को फिर से नींद आ जाती है फिर रात के 3:00 बजे के आसपास सुमित को शायद प्यास लगती है पानी पीने के लिए जैसे ही उठता है तो देखता है की सुनीता ऐसी अचेत अवस्था में पड़ी हुई है उसको ऐसी अवस्था में देखकर सुमित बहुत घबरा सा जाता है और उसका हाथ पकड़ने के लिए जाता है तो क्या पाता है की सुनीता का हाथ बेहद ज्यादा ठंडा है वो घबरा गया सुनीता सुनीता सुनीता उठो सुनीता उठो हिला हिला के उठाने की कोशिश करता है लेकिन सुनीता बिल्कुल नहीं उठती है |
सुमित बहुत डर गया जब सुनीता उठी नहीं तो सबसे पहले उसने नब्स चेक किया नब्ज लगभग बंद हो चुकी थी सांसे चेक किया तो सांसे एकदम धीमी चल रही थी हार्ट बीट सुनने की कोशिश किया तो हार्ट बीट तो समझ में ही नहीं आया फिर क्या आव सोचा ना ताव एंबुलेंस को फोन करूंगा तो लेट हो जाएगा यह हो जाएगा वो हो जाएगा करके उसने अपनी पत्नी को उठाया और भागा, अपनी गाड़ी में डाला, बोला बहुत तेज भगा के लेके जाऊंगा एंबुलेंस से तेज भगा डालूंगा जयपुर ज्यादा दूर नहीं है वहां पे हॉस्पिटल 24×7 वाले कई खुले रहते हैं मेरे को पता है मैं कई बार गया हुआ हूं वहीं लेके जाता हूं |
वो फुल स्पीड में गाड़ी भगाना शुरू कर दिया अब बीच में जंगल वाला रास्ता पड़ा उस जंगल वाले रास्ते में हट करके इसका जो एक टायर था सामने वाला वो फट गया अब इसके पास एक्स्ट्रा स्टेफनी भी नहीं था और रात के लगभग 3:00 या 3:30 बज रहे थे अब इसका दिमाग फिर गया कि ये क्या मैटर हो गया बाप रे अभी तो कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी नहीं आने वाला है किसी की हेल्प भी नहीं आने वाली है क्या करूं भैया को फोन करता हूं |
मोबाइल निकाला आदित्य को फोन किया आदित्य ने बोला मेरे को क्या फोन कर रहा है एंबुलेंस को फोन कर उसने फोन काटा एंबुलेंस को फोन करने की कोशिश किया एंबुलेंस को फोन ही नहीं लग रहा है बदकिस्मती से 108 में फोन ही नहीं जा रहा था फिर उसने बोला छोड़ो भाई से ही मदद मांगता हूं कि आसपास भाई के कोई पहचान वाला होगा तो भाई ने क्या बोला कि भाई देख इतने बजे वहां पर कोई पहचान वाला ऐसे नहीं मिलेगा मेहंदीपुर के आसपास मैं किसी को नहीं जानता हूं |
सुमित का सुनीता को हॉस्पिटल ले जाना

एक काम कर तू गाड़ी वाड़ी छोड़ कोई भी हेल्प दिखे तो सुनीता को लेके बैठ और जयपुर पहुंच मैं भी जितनी जल्दी हो सके यहां से निकल रहा हूं जयपुर में तुझसे मिलता हूं फिर भाई ने एक हॉस्पिटल का एड्रेस दिया और बोला यहीं पर मिलते हैं वहां पर अच्छे डॉक्टर है 24×7 है इसने बोला ठीक है, भाई ने बोला एक काम कर तू कार की फोटो खींच ले ताकि तुझे समझ में आए तुझे अगले दिन पता चले कि कार कहां पर छोड़ के आया है इसने फोटो खींच लिया और बोला मुझे भेज दे भाई ने फोटो भी मांग लिया इसने भाई को फोटो भी भेज दिया |
अब किस्मत से इसका फोटो खींच के भाई को भेजना ही हुआ होगा कि अचानक से ट्रक के हार्न की आवाज सुनाई दी इसने बोला लक भाई, ट्रक इसके सामने आया इसने ट्रक को रुकाया रोक दीजिए रोक दीजिए भाई साहब यह ट्रक में सुनीता को जैसे तैसे करके उठा के बैठा ही है ट्रक वहां से निकला ही है 5 मिनट हुए ही है कि फोन आता है भाई का, आदित्य का फोन आता है सुमित तू निकला है कि नहीं वहां से यह बोलता है हां भैया मैं निकल गया हूं एक ट्रक वाला मिल गया है उसने मदद किया हम दोनों बैठ के ट्रक में आगे बढ़ रहे हैं |
यह बोलता है अभी की अभी ट्रक से उतर तो सुमित बोलता है क्यों ट्रक से क्यों उतरू तो बोलता है कि भाई तू पब्लिक ट्रांसपोर्ट से ही जा ये बोलता है क्या बात कर रहे हो भाई इतनी रात गए कौन सा पब्लिक ट्रांसपोर्ट मुझे इस जंगल में मिल जाएगा रात के 3:30 हो रहे हैं ये कैसे पॉसिबल है वो बोलता है भाई तू नहीं समझ रहा है तुम लोगों के पीछे एक नेगेटिव एनर्जी भाग रही है शैतानी रूह समझता है वो लगी हुई है तू किसी के भी ऊपर रात के समय जंगल में भरोसा मत कर क्या पता वो ट्रक वाला हो कि क्या हो अचानक से इसने बात करते करते ट्रक वाले की आंखों में देखा ट्रक वाले की आंखें पूरी तरह से चटक लाल और बड़े गहरे एक्सप्रेशंस के साथ वो अपना ट्रक चला रहा है |
यह ट्रक वाले को बोलने वाला था कि भाई साहब ट्रक रोक दो हम कोई दूसरे साधन से चले जाएंगे कि उससे पहले उसकी नजर ट्रक के डैशबोर्ड में पड़ती है वहां पर हनुमान जी की प्यारी सी छोटी सी मूर्ति थी बस वहीं पर संतुष्टि हो गई तुरंत भाई को बोला भाई चिंता करने की जरूरत नहीं है अब सब ठीक हो जाएगा मेरी पत्नी सुनीता भी ठीक हो जाएगी स्वयं बजरंग बली ने रक्षा करने के लिए एक ट्रक भेजा है हमारे लिए चिंता मत करो ऐसे बोल के फोन काटा भाई ट्रक वाला भी इतना अच्छा कि व समझ गया कि यार रात है चिंता करेंगे कुछ नहीं बोला एक ऐसी हल्की सी स्माइल किया और ट्रक ऐसा भगाया ना भगाते हुए सीधे जयपुर के हॉस्पिटल में पहुंचे |
अब सुबह का वक्त तो हो चुका था ट्रीटमेंट वगैरह शुरू हुआ डॉक्टर ने बताया कि आपकी वाइफ को कार्डियक अरेस्ट हुआ था किस्मत अच्छी है कि आप बहुत जल्दी इनको लेकर आ गए वरना थोड़ी भी देर होती तो पता नहीं क्या होता इतने में सुमित का थोड़ी देर बाद बड़ा भाई आदित्य भी यहां पर पहुंच गया अब सुमित आदित्य से पूछने लगा कि भाई आप ऐसा क्यों बोल रहे थे क्या शैतानी रूह हमारे पीछे जुड़ी हुई थी हमारे पीछे कौन था आपने अचानक से फोन में ऐसा क्यों बोला आपको क्या ऐसा पता चल गया तो आदित्य बोलता है ये जो तूने मुझे फोटो भेजा था याद है तूने उस फोटो को ध्यान से देखा था |
अपने गाड़ी का फोटो लेना

बोलता है हां गाड़ी की फोटो की बात कर रहे हो ना जो रात में मैंने खींच के भेजा था बोलता है हां फिर आदित्य बोलता है सुमित वो फोटो को ध्यान से देख सुमित अपना मोबाइल निकालता है जूम करके फोटो को देखता है इनकी कार के ऊपर कोई तो एक आदमी लेटा हुआ है और उसका मुंह बड़ी खतरनाक तरीके से फटा हुआ है और बड़ी बड़ी आंखे,चेहरा तो जैसे भूत, सुमित ने देखा तो मोबाइल फेंक दिया बोला यह क्या मैटर हो गया भैया वो सर पर हाथ पकड़ कर बैठ गया मतलब क्या रिएक्ट करे वो पत्नी तो अंदर थी अब बड़ा भाई बोलता है कि तू मंदिर गया था हनुमान जी के मंदिर गया था यह सब तेरे साथ क्यों हुआ यह सब नहीं होना चाहिए था एक बात बता तुम लोग जब मंदिर से लौट रहे थे तो पीछे से किसी ने पुकारा तो नहीं था और तुम लोगों ने पलट के देखे तो नहीं थे ये चुप था और फिर बोला भाई ऐसा ऐसा हुआ था |
एक पंडित जी आए थे उन्होंने प्रसाद भी दिए थे और सुनीता का नाम भी पुकारे थे हम पलट के प्रसाद भी खाए थे फिर बड़े भाई ने बोले ले यही तुमने सत्यानाश कर दिए मेहंदीपुर बालाजी में ये नियम होता है कि जब कभी भी जाए तो पीछे से कोई भी पुकारे कितनी भी जान पहचान वाली आवाज हो कोई भी हो पीछे से पुकारे तो पलट के ना देखे क्योंकि वहां पर शैतानी रूहे तड़पती रहती है हनुमान जी के ताकत से वो झटपटाती रहती है और शरीर ढूंढ रही होती है कि कोई शरीर मिले वो शरीर के अंदर प्रवेश करे और वहां से निकले और ऐसे में वह किसी का भी नाम पुकारती है सुनीता का नाम पुकारी पलट के देख लिए प्रसाद भी वहां पर ऐसे नहीं खाते मंदिर के प्रांगण के अंदर तुमने प्रसाद भी खा लिए इस वजह से सुनीता चपेट मे आ गई थी |
लेकिन हनुमान जी का आशीर्वाद तो तुम्हारे साथ था देखो सब कुछ अच्छे टाइम पर हो गया कुछ गड़बड़ नहीं हुवा, फिर समय के साथ चीजें ठीक हो गई 2015 में यह सब कांड हुआ था अब 2025 आ गया है 2015 से 2025 के आये साल में सुनीता के हालत में लगभग 99 % का सुधार आ गया है और जो छोटी मोटी प्रॉब्लम है व भी बजरंग बली की कृपा से ठीक हो जाएगी वह रात व दिन ऐसा था उनकी जिंदगी में जो वो कभी चाह कर भी नहीं बुला सकते |
Thank You
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